सावन रातों में तुमबिन तन्हा गुजारा है
सावन रातों में तुमबिन तन्हा गुजारा है
बसंत आगमन तेरे आने का इशारा है
तुझे याद कर कभी हँसना कभी रोना
तसव्वुर में खो जाना आदत हमारा है
तूने दी थी निशानी बिछड़ने के पहेले
पुरानी खत,तस्वीर जीने का सहारा है
वो बचपन की बाते याद जरा कर
मेरी ज़िंदगी रंगी नदिया, तू किनारा है
ये जाने वफ़ा लौट आ मेरे शहर
दिल ने तुम्हें आज फिर पुकारा है
कौन कहता है तुम्हें भूल गये है
जुबाँ में बस एक नाम तुम्हारा है