सावन म वैशाख समा गे
सावन भादो भोंभरा तिपत हे
बरषा कहां नंदागे।
ऐसन लागत हे जैसन
बैसाख महिना आगे।।
कुहक म जान छुटत हे
तरर तरर पसीना चुहत हे
धान पान ह सुखागे
,ऐसन लागत हे जैसन
बैसाख महिना आगे।।
नरवा ढोड़गा सुखागे
चिरई चिरगुन लुकागे
बिन पानी के जी थर्रागे
ऐसन लागत हे ,जैसन
बैसाख महिना आगे।।
सावन के झमा झम बरषा
शंकर के जटा म लुकागे
का बतावव ददा
गंगा के धार सुखागे
ऐसन लागत हे जैसन
बैसाख महिना आगे।।
डॉ विजय कुमार कन्नौजे अमोदी आरंग ज़िला रायपुर छ ग