सावन मे नारी।
सावन मे नारी।
-आचार्य रामानंद मंडल।
सावन मे प्रकृति।
रुप धैलक नारी।
सावन मे नारी।
पेन्हले हरियरका सारी।
लिलार मे चमकैत टिकुली
हाथ में हरियरका चुरी।
गोर मे पायल झुमकी।
खोलले केश बदरकी।
चलैत मस्त हथिनी।
मोचरैत फूल यामिनी।
बरखा में नारी।
चुएत अंग-अंग पानी।
निखरैत सौंदर्य नारी।
जौवन भेल भारी।
बनैत कामिनी नारी।
रामा सावन न्यारी।
@आचार्य रामानंद मंडल।
-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सह साहित्यकार सीतामढ़ी।