सावन में तुम आओ पिया………….
सावन में तुम आओ पिया, भर सावन तुम रह जाना।
मैं बन जाउँगी दीप की बाती, तुम ज्योति बन छा जाना॥
रिमझिम बुँदें बरखा की, तन को मेरे भिंगोए।
पिया मिलन की आस में, कितनें सपने संजोए॥
प्रणयी संवेदन के नीले, बादल बन कर बरस जाना
सावन में तुम आओ पिया………………………..?
अचके कड़के बिजुरी बेदर्दी, मन को मेरे डराए ।
शांत हृदय वीणा के, तारों को छेड़ जाए॥
अर्पित मेरे तन मन का, आकर पीड़ा हर जाना
सावन में तुम आओ पिया………………………?
महक रही है रजनीगंधा, मन को मेरे पिघलाए।
मधुमय सालस बरसातें, प्रियतम की याद दिलाए॥
प्रकृति ने है रंग बदली, खुशबू प्यार का महका जाना
सावन में तुम आओ पिया………………………..?
प्यासी नैना प्यासे होठ, रास्ता तेरा निहारे ।
इंद्रधनुष सी पलती आशा, तेरे यादों के सहारे॥
रहकर संग कुछ दिन प्रिय, बन फुहार भिंगो जाना
सावन में तुम आओ पिया………………………?
बादलों की आँखों में, सावन है घिर आए ।
बहती ठंडी मंद पवन, तन को मेरे सिहराए ॥
अनल विरह की धधक रही है, चुपके से आ के बुझा जाना
सावन में तुम आओ पिया…………………….?
हर सिंगार झरे मन आँगन, पोर पोर खुशबू भर आए।
इच्छाओं की उड़े तितलियां, मन पंछी डाल पर गाए॥
रोशन है चाँदनी का शमां, जिंदगी का साथ निभा जाना
सावन में तुम आओ पिया………………………..?
हृदय के बगिया में अपने, फूल हैं खिलांए ।
रची रची लाली मेंहदी से, हम हाथ हैं सजाए ॥
जीवन के सपनों को कुमार, तुम सकार कर आ जाना
सावन में तुम आओ पिया……………………………..?
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