सावन में घिर घिर घटाएं,
सावन में घिर घिर घटाएं,
बादलों से नभ भर जाएं ।
मंद मंद सुंगध बहे हवाएं,
रिमझिम मेह बरसता जाएं ।
आम जन एक स्वर गुनगुनाएं,
कोयल कूके पपीहा टेर सुनाएं ।
सलिल धरा की पीर मिटाएं,
भक्ति भाव में सब रंग जाएं ।
मन में नव नूतन भाव आएं,
कवि त्वरित कदम उठाए।
समर्थ चित्र सी रचना गाए ,
कलाकार की कला रिझाएं।
तन-मन प्रफुल्लित हो जाएं ,
बेगा बेगा सांवरिया आएं,
प्रीतम प्यारे प्रीत निभाए ।
-सीमा गुप्ता,अलवर राजस्थान