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9 Jul 2022 · 1 min read

सावन में एक नारी की अभिलाषा

सावन का महीना,
सुन मेरे भरतार।
ले चल मुझे आज,
नदिया के उस पार।।

कैसे ले जाऊं तुझे,
नदिया के उस पार।
नाविक जाने को नही,
कोई भी आज तैयार।।

कैसे बितायेगे ये रात,
सूर्य भी हो रहा अस्त।
बयार ऐसी चल रही,
करती दोनो को मस्त।।

नदी के किनारे ही,
एक झोपड़ी बनायेगे।
बिताएगे सारी रात,
आनंद खूब उठायेंगे।।

सावन का है महीना,
करो तो कुछ ख्याल।
आज तो सैयां ले चलो
शॉपिंग के लिए माल।।

कैसे ले जाऊं तुझे,
शॉपिंग के लिए माल।
महंगाई इतनी बढ़ी हुई,
कुछ तो करो ख्याल।।

माल में सेल लगी है,
मिल रहा डिस्काउंट।
मैने भी कुछ जोड़ा है,
खर्च करेंगे वह अमाउंट।।

चाट पकोड़ी हम खायेंगे
सावन वही हम मनाएंगे।
महंगाई के इस दौर में,
गुजारा ऐसे ही कर पाएंगे।।

आर के रस्तोगी गुरुग्राम

Language: Hindi
3 Likes · 4 Comments · 523 Views
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