सावन बरसे झूम के,ननदी झूला झूल।
सावन बरसे झूम के , ननदी झूला झूल ।
रोके भौजी बाग में , रोके रुके न शूल ।
रोके रुके न शूल , टपाटप अमिया टपके ,
करें न बारिश भूल , झमाझम अम्बर बरसे ।
कह प्रवीण कविराय , हुई बारिश मनभावन ,।
हिय में हर्ष विलोक , झूम के बरसे सावन।
डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव ,प्रेम
वरिष्ठ परामर्श दाता, प्रभारी रक्त कोष,
जिला चिकित्सालय, सीतापुर।
मौलिक रचना