सावन की बारिश और सीख
“सावन” के आने पर हर कोई खुशी से झूम उठता है! फिर चाहे वे पशु-पक्षी हों या फिर मानव; हर कोई चौतरफा हरियाली देखकर बहुत प्रसन्न होता है। अब जब हर कोई अपने होश खो कर प्रसन्नता से झूमने में विवश हो जाता है; तो भला हमारे आस पास के नदी-नाले क्यों पीछे रहें? वे भी पूरे जोश के साथ अपना मार्ग खुद बनाते हुए अपने गन्तव्य की और तीव्र गति से बहने लगते हैं। उस जोश में ना उन्हें कोई रुकावटें नज़र आती हैं और ना ही कोई चुनौतियाँ नज़र आती हैं। हालाँकि, उनके द्वारा जोश में बहना कई बार तबाही का मंज़र तैयार करने में भी पीछे नहीं हटता। ऐसे ही जोश के साथ आज आकाश के गांव में भी खूब बारिश हो रही है।
“आकाश” – एक ऐसा लड़का; जिसे ना जीवन की परिभाषा का ज्ञान है और ना ही वो ज्ञान हासिल करना चाहता है। घर में बूढ़े माँ-बाप और एक छोटी बहन है, जिसकी शादी का भार भी बूढ़े माँ-बाप के कंधों पर ही है। आकाश को तो जैसे इन बातों से कोई मतलब ही नहीं। ना तो उसे कोई ज़िम्मेदारियाँ नज़र आती और ना ही वो ज़िम्मेदारियों को निभाने की कोशिश करता। सिर्फ़ खाना और सोना ही उसे पसन्द होता। बूढ़े माँ-बाप के कानों में भी कम सुनाई देता है, लेकिन आकाश तो जैसे चुनौतियों से दूर रहना ही पसंद करता हो। आकाश को सभी समझाया करते, लेकिन हर बार उसका एक ही जवाब होता :- “मुझसे नहीं होगा, मैं कुछ नहीं कर सकता। मुझे समझ नहीं आता, इसलिए मैं कुछ समझना भी नहीं चाहता। कई बार तो वो धमकियाँ तक देने लग पड़ता और कहता; “अगर मुझे ज्यादा तंग किया तो मैं गांव छोड़ कर चला जाऊँगा”। आकाश की ऐसी बातें सुनकर उसे सभी आलसी और निक्कमा कहते और उसे कुछ भी समझाने से बचते।
हालाँकि आकाश अपने जीवन में कई चुनौतियों से घिरा हुआ था; लेकिन फिर भी, उन चुनौतियों का सामना कैसे करना है, उसे कुछ भी पता नहीं था। अब तो घरवालों ने भी आकाश को समझाना छोड़ दिया था।
समय बीतता गया और एक दिन सुबह-सुबह अचानक, गांव में बहुत तेज़ बारिश हुई। बारिश इतनी भयंकर थी कि हर कोई देखने वाला सहम उठे। आकाश भी अपने कमरे की खिड़की से बैठा बाहर झांक रहा था। उसका गांव पानी से तर हो चुका था। नालियों से भी पानी लबालब बह रहा था। पता करने पर मालुम पड़ा कि पास के नाले के तेज़ बहाव के चलते पानी गांव में घुस आया है। उस दिन तो मानो उस गांव के प्रति इंद्र देव कुछ ज्यादा ही रुष्ट हो चुके थे। शाम होते होते जब तक बारिश रुकती तब तक आधा गांव जलमग्न हो चुका था।
“मानो जीवन नाला-नाला हो चुका था!” गांव के कई जगहों से जलप्रवाह स्वतः होने लगा था। सभी गांव वाले इंद्र देव से प्रार्थना करने लगे। हे इंद्र देव! “अगर हमसे कोई भूल हई है तो कृपया हमें क्षमा करें।” प्रार्थना करने के उपरांत, सभी गांव वालों ने जलमग्न हुए स्थानों से पानी की निकासी हेतु कार्य करने के लिए एक मत तैयार किया। आकाश भी उस सभा में मौजूद था। सभी गांववासी बीचों बीच ऐसा मार्ग तैयार करने लगे, जहाँ से जल निकासी आसानी से हो सके। सारी रात गांव वालों ने मिलकर काम किया और जलमग्न हुए स्थानों को पुनः रहने के लिए तैयार कर लिया।
सभी गांव वालों ने मिल-जुलकर इस आपदा से छुटकारा पाया। लेकिन, आकाश ने इस कार्य में किसी भी तरह की कोई मदद नहीं की। वह एक जगह खड़े होकर सारा तमाशा देखता रहा।
अगले दिन की सुबह आकाश अपने दोस्त अभिनय के साथ गांव के पास उस नाले को देखने चला गया जो बहुत छोटा नाला था। उसे यह समझ नहीं आ रहा था कि इतना छोटा सा नाला! इतनी तबाही कैसे कर सकता है? वहाँ पहुँच कर उसने देखा कि अभी भी वो छोटा सा नाला बहुत तेज़ बहाव के साथ बह रहा है। आकाश ने मन ही मन सोचा; “हमारे गांव का यह छोटा सा नाला इतने तेज़ बहाव के साथ कैसे बह सकता है; जबकि यह नाला तो हमेशा सूखा रहता था और गन्दगी के साथ-साथ अन्य सामान इतने सालों से यहाँ फेंकने के कारण, पानी को भी बहने तक का कोई रास्ता नहीं बचा था; फिर भी यहाँ पानी बह रहा है वो भी तेज बहाव के साथ!”
इतने में अभिनय ने आकाश से पूछा;आकाश: “किस सोच में पड़ गए?”
आकाश ने ज्यादा कुछ नहीं कहा और वहाँ से चलने को कहने लगा।
घर पहुँच कर आकाश अकेला बैठा सोचने लगा; “अगर एक छोटी सी पानी की बूंद, अन्य पानी की बूंदों के साथ मिलकर ऐसी बारिश तैयार कर सकती है, जो हर किसी को कहीं भी बहा ले जाने की क्षमता रखती हो और मार्ग में आने वाले कई चुनौतियाँ जैसे कई नुकीली चट्टानें, पत्थर, कांटेदार झाड़ियाँ, गंदगी आदि को साफ करते हुए अपना मार्ग स्वयं तैयार कर लेती हो; तो मैं भी अपने जीवन में अपने गुरुजनों, परिजनों एवं मित्रों आदि के सहयोग से कई चुनौतियों को आसानी से पार कर सकता हूँ।”
“आकाश अब यह समझ चुका था कि जीवन में लक्ष्य हासिल करने के लिए उस नाले की तरह तेज़ बहाव वाला जोश और गांव वालों की तरह संयम; इन दोनों के मेल से किया हुआ काम, हमें अपनी मंज़िल तक पहुँचा ही देता है।”
बस इतना सोचना था कि आकाश और उसके परिवारवालों का जीवन तो मानो जैसे एक दम बदल सा गया हो! आकाश अब एक समझदार व्यक्ति बनने की कोशिश करने लगा। वह अपने गुरुओं की दी हुई शिक्षा को भी अच्छे से ग्रहण करने लगा और अपने सहयोगियों से अन्य गतिविधियों में भी रुचि दिखाने लगा। घर में भी अपने माँ-बाप का सहारा बनकर, सभी ज़िम्मेदारियों को समझने एवं उन्हें निभाने की कोशिश करने लगा। अब तो आकाश गांव में भी लोगों के साथ मिलकर कई तरह के कार्यों में साथ मिलकर काम करता था।
आज आकाश उसी मेहनत और बड़ों के आशीर्वाद के कारण अच्छी नौकरी में लगा हुआ है और गांव में भी सबका सहारा बना हुआ है।
आज भी आकाश बरसात की उस बारिश को याद करते उनका शुक्रिया करते हुए कहता है: “अगर तुम उस दिन खूब ना बरसी होती! ना नाले में इतनी तेज़ गति से पानी बहाया होता! तो मेरा जीवन नाले की तरह तो ज़रूर होता लेकिन सिर्फ़ गन्दगी और सूखे के बोझ तले दबा हुआ”।
“जिस तरह आकाश ने एक बहते नाले से प्रेरणा लेते हुए अपने जीवन में रंगत भर दी, उसी तरह सभी को नाले के उसी पानी की तरह जोश और संयम दोनों के तालमेल से संघर्ष करते हुए अपने जीवन के मार्ग में हमेशा अग्रसर रहना चाहिए। फिर चाहे मार्ग में कई रुकावटों या चुनौतियों का सामना ही क्यों ना करना पड़े।”
लेखक: शिवालिक अवस्थी,
धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश।