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1 Mar 2022 · 1 min read

“सावन की अद्भुत छटा”

सावन तेरी अद्भुत छटा,
देख, मन हर्षे,
घन गरजे, बिजली तड़के,
भू तल, शून्य प्रति ध्वनि गूंजे।

प्यास धरती की बुझाती,
रिमझिम सावन बरसे,
काली-काली,घोर घटाएं,
बूंद बन आंगन में टपके,
रुक-रुक, ठहर-ठहर,
तेज-तेज, कभी मंद-मंद,
चहुं ओर मेघ छाये,
पर्वत सा नभ में बिखरे।

गर्म, प्रचण्ड, धूप में झुलसते,
पौधों में हरियाली कर दे,
पांव चूमते वसुंधरा का,
डालियां, मस्त झूमें-गाएं,
तीव्र बयार, उड़ती फुहारें,
झूमते पौधों के रूप अनोखे,
दर्पण सा वें दाग दृश्य,
देख मेरा मन बहके।

शीतल तन करती समी रण,
बहती धारा नदियां बनकर,
सरल-सरल,कभी तेज हवाएं,
धरती पर चादर बनकर,
देख, ऋतु की प्राकृतिक आभा,
मन में उमंग सा छाएं,
मनोहारी,घनघोर घटाएं,
चित्त अमृत बरसाएं ।।

~वर्षा(एक काव्य संग्रह)/राकेश चौरसिया
9120639958

Language: Hindi
1 Like · 295 Views
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