सावन का महीना
देखो देखो बादल घिर आए, देख के इसको सबके मन हर्षाए, उमड़ उमड़कर काले बादल, बारिश की रिमझिम बूंदें बरसाए,
बादल गरजे, बिजली चमकी, देख के इसको सबके मन घबराए,
हो जाता भयभीत सबका मन, जब चलती सन सन तेज हवाएं,
नदी तालों में मेंढक टर्राए, गहरे अंधियारे में झींगुर भी जैसे गाएं,
कल कल करती नदियां बहतीं, बादल भी इंद्रधनुषी छटा दिखाए,
आसमान में घिरते बादल, जैसे किसी गोरी के नैनों में काजल,
देख कर इसको मन हर्षाए, घुमड़ घुमड़ कर बूंदें बरसाए,
खिल गए हैं सुंदर उपवन, पेड़ों में भी सावन के झूले आए,
देख के ऐसे सुहाने मौसम, प्रेमी प्रेमिका के मन तरसाए,
रोमांचित होकर प्रियतम से मिलने, आतुर हो हर एक मन गाए,
किसान भी नाचे झूमें गाएं, खेतों में जब हरियाली लहराए,
चहुं ओर छाई हरियाली ने, मानों प्रकृति को हरी चादर ओढ़ाए,
सावन महीना आए, देखो सावन महीना आए।।
✍️मुकेश कुमार सोनकर “सोनकर जी”
रायपुर, छत्तीसगढ़ मो.नं.9827597473