सावन आया
हुई वर्षा , मन हर्षा ,देख मौसम मन भावन का ।
बूँदें पड़ी , लगी झड़ी ,आया महीना सावन का ।।
उजली लड़की , बिजली कड़की , नाच उठा मन मोर जन जन का ।
नदियों में भरपूर पानी , कहे नई कहानी , झूमे पपीहा मोरे मन का ।।
आया महीना सावन का ।
सावन बरसे , विरहन तरसे , बीत रहा महीना सावन का ।
जब से गये पिया , मोरा तरसे हिया , बीत न जाये महीना सावन का ।।
आया महीना सावन का ।
ओम् ढूँढ़ो प्रियतम , हटे मन का ये तम , सुनो साज मोरे मन का ।
लौट आओ हमदम , राह तकते हैं हम , हरो सूनापन मोरे जीवन का ।।
आया महीना सावन का ।
ओमप्रकाश भारती ओम्