सावन आई
दौड़ी – दौड़ी सावन आई,
रिमझिम – रिमझिम वर्षा लाई।
सभी किसान झूम उठे,
धान की रोपनी सपरा बैठे।।
चारों ओर शोर हुआ,
दौड़ी आई कुंती के फुआ।
भौजी – भौजी देवघर चलो,
लेके कांवर बोल बम बोलो।।
मेरे पास ना कुछ पैसा है,
भैया तेरा भिखारी जैसा है।
मेरा भी दिल करता देवघर जाऊं,
पर पैसा कहां से मैं लाऊ।।
भौजी – भौजी भैया से बोलो,
भुवरी भैसिया बेच डालो।
भुवरी भैसिया बेच दोगी,
पैसा हाथ में तुम पाओगे।।
उसके बाद हम देवघर चले,
कांधे कांवर बोल बम बोले।
देखो देवघर शोर मचा है,
भोले का दरबार सच्चा है।।
वहां तुम जो कुछ मांगोगी,
शिव शंकर से सब पाओगी।
चिलम, गांजा, भांग चढ़ाओगी,
दुख से मुक्ति तुम पाओगी।।
कवि – जय लगन कुमार हैप्पी ⛳