सावधान मायावी मृग
सावधान मायावी मृग फिर छलने वाला है
कहता है इस देश का सूरज ढलने वाला है
जिस पुण्य धरा पर खर दूषण रावण
संहारक राम हुये
पूतना बकासुर कंस आदि असुरो के तारक
श्याम हुये
वो देश मोम या बर्फ नही जो गलने वाला है
सावधान मायावी मृग फिर छलने वाला है
कहता है इस देश का सूरज ढलने वाला है
जिस राष्ट्र धर्म की रक्षा को चमकी
तलवार भवानी थी
राणा का भाला ज्योति पुंज
बिजली झाँसी की रानी थी
वो देश फूस का ढेर नही जो जलने वाला है
सावधान मायावी मृग फिर छलने वाला है
कहता है इस देश का सूरज ढलने वाला है
इस देश के बेटे भगत सिंह
आज़ाद और अब्दुल हमीद
बिस्मिल अशफाक राजगुरु थे
जो मिट कर कहलाये शहीद
जिनका हर कतरा लहू दीप बन जलने वाला है
सावधान मायावी मृग फिर छलने वाला है
कहता है इस देश का सूरज ढलने वाला है
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डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
नवी रचना