कुछ दिन घरों में
चलो यार कुछ दिन रहें हम घरों में।
कि मस्ती ठिठोली करें हम घरों में।।
मिला है बहाना कि रूठें मनायें।
नज़र बच्चों पर भी रखें हम घरों में।।
करें काम घर का सफाई भी थोडा।
उन्हें कुछ अलग तो दिखें हम घरों में।।
संवारा है घर प्यार से और हमको।
कभी ध्यान उनका धरें हम घरों में।।
चलो साथ मिल हाथ थोडा बटायें।
उन्हें थोडा आराम दें हम घरों में।।
करो योग घर में कि अब ध्यान से हम।
हवन पाठ पूजा करें हम घरों में।।
नज़र की है दूरी मगर दिल में हैं हम।
कोरोना,,,,,, से ‘राही’ बचें हम घरों में।।
अनिल कुमार ‘राही’
मुम्बई, महाराष्ट्र