साल भर पहले
साल भर पहले
जिसको बड़े उल्लास से लेकर आये थे
और खूंटी पर टांग दिया था
हर रोज दिन देखें, तारीख़े देखी, महीने देखे
छुट्टियां देखीं उसमे त्यौहार भी देखे
किसी ने दिन गिने शादी के लिए
किसी ने बच्चे के आने की तारीख़ पर निशान लगाया
सब ने उसे बहुत उपयोग में लाया
अब वो बेकार लगने लगा न
अब उसे रद्दी में बेच देंगे
या यूं ही समेट कर कहीं रख देंगे
नए को लायेंगे उसे भूल जायेंगे
शायद यही जिंदगी है
इंसान नयापन चाहता है
मरे हुए पौधों को पानी देने के बजाय
नये फूल उगाता है
Ruby kumari