!! साल दर साल !!
एक हम है एक हमारी याद है
हम-तुम रहे या ना रहे याद रहेगी।
याद रहे तो हस्ती भी रहेगी
जिएं जहां की हस्ती ये फरियाद रहेगी।।
जाते दिसंबर फिर आ जाएंगे
गुजरते साल फिर से आ जाएंगे।
संग गुजरी ये जिंदगी फिर झांकेगी
ये यादों के जब झोंके आएंगे।।
हो जर-जर गुजर जाते हैं
यूं ही जिंदगी के सब साल।
कुछ किस्से चाहे-अनचाहे
बना जाते जिंदगी बेमिसाल।।
यूं साल दर साल गुजरते
जीवन की माला जाएं पिरोये।
बिखरे माला जब टूटे धाॅगा
दस्तूर पर अब क्या रोये।।
बांध टूटे धाॅगे को अगर
मांगे भी लें थोड़ी मोह से मोहलत।
फिर भी तो जिंदगी बितानी है
बस दुनिया के प्यार की बदौलत।।
तो फिर से क्यों न कर लें
प्यार-मोहब्बत दुनिया वालों से।
सजा लें खूब ये जिंदगियां
यूं ही आते-जाते सालों से।।
~०~
३१ दिसंबर. ©जीवनसवारो.