Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Feb 2022 · 1 min read

साल जो बदला है

क्या तुम भी बदले हो
क्या हम भी बदले हैं
साल जो बदला है
क्या हाल भी बदला है
क्या तेरी मेरी
मानसिकता का
क्या स्तर भी बदला है
भूख, गरीबी बदहाली का
क्या मंज़र भी बदला है
गंदी नदियां, गंदे नाले
क्या सड़कों का
हाल भी बदला है
मारे-मारे सड़कों पर
फ़िरते नंगे भूखे,
लाचार, अभागे लोगों का
क्या हाल भी बदला है
आपसी घृणा, नफ़रत का
क्या माहौल भी बदला है
साल जो बदला है
क्या हाल भी
बदला है ?

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
17 Likes · 395 Views
Books from Dr fauzia Naseem shad
View all

You may also like these posts

- रातो की खामोशी -
- रातो की खामोशी -
bharat gehlot
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
Tum meri kalam ka lekh nahi ,
Tum meri kalam ka lekh nahi ,
Sakshi Tripathi
" लेकिन "
Dr. Kishan tandon kranti
साइड इफेक्ट्स
साइड इफेक्ट्स
Dr MusafiR BaithA
हालात ए शोख निगाहों से जब बदलती है ।
हालात ए शोख निगाहों से जब बदलती है ।
Phool gufran
तारा टूटा
तारा टूटा
मनोज कर्ण
अभी मेरी बरबादियों का दौर है
अभी मेरी बरबादियों का दौर है
पूर्वार्थ
यदि आप जीत और हार के बीच संतुलन बना लिए फिर आप इस पृथ्वी पर
यदि आप जीत और हार के बीच संतुलन बना लिए फिर आप इस पृथ्वी पर
Ravikesh Jha
17रिश्तें
17रिश्तें
Dr .Shweta sood 'Madhu'
Filled with gratitude
Filled with gratitude
Poonam Sharma
मनुष्य को विवेकशील प्राणी माना गया है,बावजूद इसके सभी दुर्गु
मनुष्य को विवेकशील प्राणी माना गया है,बावजूद इसके सभी दुर्गु
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
#प्रसंगवश😢
#प्रसंगवश😢
*प्रणय*
कहानी
कहानी
कवि रमेशराज
बिटिया मेरी सोन चिरैया…!
बिटिया मेरी सोन चिरैया…!
पंकज परिंदा
रक्तदान
रक्तदान
Pratibha Pandey
विराम चिह्न
विराम चिह्न
Neelam Sharma
हाँ, मुझको तुमसे इतना प्यार है
हाँ, मुझको तुमसे इतना प्यार है
gurudeenverma198
आधारभूत निसर्ग
आधारभूत निसर्ग
Shyam Sundar Subramanian
हमनवा
हमनवा
Bodhisatva kastooriya
गीत- चले आओ...
गीत- चले आओ...
आर.एस. 'प्रीतम'
यक्ष प्रश्न
यक्ष प्रश्न
Shashi Mahajan
कीमत दोनों की चुकानी पड़ती है चुपचाप सहने की भी
कीमत दोनों की चुकानी पड़ती है चुपचाप सहने की भी
Rekha khichi
फिर आओ की तुम्हे पुकारता हूं मैं
फिर आओ की तुम्हे पुकारता हूं मैं
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
कुछ ख़ुशनसीब ऐसे हैं जो आगे किस्मत से बढ़ गए!
कुछ ख़ुशनसीब ऐसे हैं जो आगे किस्मत से बढ़ गए!
Ajit Kumar "Karn"
अभिव्यक्ति हर बात की,
अभिव्यक्ति हर बात की,
sushil sarna
विनती मेरी माँ
विनती मेरी माँ
Basant Bhagawan Roy
भाषा और बोली में वहीं अंतर है जितना कि समन्दर और तालाब में ह
भाषा और बोली में वहीं अंतर है जितना कि समन्दर और तालाब में ह
Rj Anand Prajapati
9--🌸छोड़ आये वे गलियां 🌸
9--🌸छोड़ आये वे गलियां 🌸
Mahima shukla
कुछ ना पा सकोगे तुम इस झूठे अभिमान से,
कुछ ना पा सकोगे तुम इस झूठे अभिमान से,
Ranjeet kumar patre
Loading...