साल के आख़िरी किनारे पर
नव वर्ष की वेला पर विगत वर्ष हो गया हू,
सोचत हूं कब नया था कब पुराना हो गया हू।
वक़्त की तासीर यही खुद ही पुराना हो गया,
नया दिखने की चाह मे सर्वसर ही खो गया ।।
कौन नया कौन पुराना वक्त ही बतलाता है,
अपना वही हुआ जो वक्त पे काम आता है।
रिस्ते नाते बनाना सब वक्त वक्त की बात है,
सच्चा इंसान वही है जो दुख सुख में साथ है।।
कितने मौसम सहे है चला चाहे अंगारों पर,
पर मैं रुका नहीं चाहे चला नंगी तलवारों पर।
मेरी जिंदगी में कौन की है ये किसने झंकार,
नव वर्ष की नव बेला पल खुशी का आगाज हो ।
हर किसी के मुख से प्यार के हीअल्फाज हो,
शुभ घड़ी आ गई है सब शुभ-शुभ करो कर्म।
तालमेल ऐसा बनाओ बन जाए बस यही धर्म,
प्यार खाओ प्यार पियो प्यार का समझो मर्म।।