*सार्थक दीपावली*
🌹*शुभ दीपावली*🌹
चलो जलाएं दीप वहां,
जहां आज भी अंधेरा है।
मुस्कानों के दीप जलाएं
जहां अश्रु का मेला है।
अपनेपन का दीप जलाएं
जहां तन मन अकेला है।
तृप्ति का इक दीप जलाएं,
जहां भूख का डेरा है।
संस्कारों के दीप जलाएं,
जहां विकृत अंधेरा है।
शिक्षा का लघु दीप जलाएं,
जहां तिमिर घनेरा है।
चलो जलाएं दीप वहां
जहां आज भी अंधेरा है।।
आभा पाण्डेय
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