सार्थकता
सार्थकता
ओस की इक छोटी सी बूँद,
जीवन की सार्थकता समझा गई,
जीवन चाहे कितना भी लघु हो,
कर्मों की महत्वता सिखला गई।
जीवन हमारा क्षणभंगुर है,
ओस की बूंँद यह बताती है,
कुछ पलों के जीवन में ही,
प्यासे की प्यास बुझाती है।
छोटे जीव और कीड़े – मकौड़े,
ओस की बूंँद से प्यास बुझाते हैं,
सुबह घास पर पड़ी ओस की बूँदें,
नंगे पैर चलो, नैत्र ज्योति बढ़ाती हैं।
छोटे से चिड़िया के चूजे की ,
प्यास एक बूंँद से बुझ जाती,
ज्यादा की फिर चाह नहीं,
मन सुकून, तृप्ति पा जाती।
ओस की बूंँदें देती है संदेश,
जीवन चाहे छोटा ही हो,
सत्कर्म जीवन सार्थक हो ,
मिले जीवन को सुंदर परिवेश।
नीरजा शर्मा