सारे दल मिलेगे तभी तो दलदल बनेगा
सारे दल मिलेगे,तभी तो दलदल बनेगा
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सारे दल मिलेगे,तभी तो दलदल बनेगा,
कीचड़ बनते ही कमल का फूल खिलेगा।
बदले बदले दल बदलू हमे नजर आते है,
एक दल छोड़कर दूसरे दल में नजर आते है।
जहां देखते है ये नेता सत्ता की तवा परात,
वही पर बिताने लगते है ये अपनी पूरी रात।
दलबदलु नेताओ का कोई धर्म ईमान नहीं होता,
जहां मिलती है कुर्सी वही सब कुछ इनका होता।
अब तो हाथी भी सायकिल पर सवारी करने लगा है,
बबुआ भी बुआ को अब राजनीति सिखाने लगा है।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम