सारे जहाँ से अच्छा
सारे जहाँ से अच्छा , हिन्दूस्ताँ हमारा हमारा
हम पुष्प है इस उपवन के,यह पल्लवित जहाँ हमारा हमारा
बस जाऊँ किसी भी छोर ,पर जान अटकी वतन में
पर जान अटकी वतन, वो आसमाने हमारा हमारा
हिन्दुस्ताँ हमारा
सारे जहाँ से अच्छा , हिन्दूस्ताँ हमारा हमारा
हिन्दुस्ताँ हमारा
नाम वतन का ऊँचा, जो विश्व गुरू कहलाये
जो विश्व गुरू कहलाये,वो हिन्दूस्ताँ हमारा
हिन्दूस्ताँ हमारा
सारे जहाँ से अच्छा , हिन्दूस्ताँ हमारा
हिन्दुस्ताँ हमारा
गोदी में जिसकी,पलती है विविध बोलियाँ
हिन्दी है जिसके दम से,वह गुलए जहाँ हमारा
सारे जहाँ से अच्छा , हिन्दूस्ताँ हमारा
हिन्दुस्ताँ हमारा
ऐ गंग जमुन सरस्वती , ऐ सरजू का किनारा
प्राण प्रतिष्ठा राम की , वो हिन्दूस्ताँ हमारा
सारे जहाँ से अच्छा , हिन्दूस्ताँ हमारा
हिन्दुस्ताँ हमारा
मजहब नहीं सिखाता ,दूसरें को गैरसमझना
वतन है हमसे , वो हिन्दूस्ताँ हमारा हमारा
सारे जहाँ से अच्छा , हिन्दूस्ताँ हमारा
हिन्दुस्ताँ हमारा
मिट गई बहुल सभ्यता , संस्कृतियाँ जहाँ से
पर अब तलक वजूदे , निशां हमारा हमारा
सारे जहाँ से अच्छा , हिन्दूस्ताँ हमारा
हिन्दुस्ताँ हमारा