सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा,
अलगाव की घटाएं हमको नहीं डिगांए,
भाषा अनेक रंग भी हम एक हो मर जाएँ,
पर मरते मरते गाएं एक गीत यही प्यारा,
इस पुण्यमयी धरा की तुम एक ही हो धारा
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा ……….
मंदिर में क्यों हैं दंगे , मस्जिद में क्यों हैं ताले ,
क्यों बन रहे खुदा को नीलाम करने वाले,
कसमें कुरान की हैं गीता ने फिर पुकारा,
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा…..
मंदिर भी हमको प्यारा, मस्जिद भी प्यारा,
है प्राणों से भी प्यारा, सिक्खों का गुरुद्वारा
आवाज़ दे रहा है झेलम का वो किनारा,
इस पुण्यमयी धरा की तुम एक ही हो धारा,
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा।।