सारी हसरत सराब लगती है
—–ग़ज़ल—-
2122-1212-22
1-
आँख उनकी शराब लगती है
और वो ला-जवाब लगती है
2-
उसका कोई न सानी दुनिया में
वाकई लाज़वाब लगती है
3-
हो के वो बे-नक़ाब जब निकले
शम्स और माहताब लगती है
4-
एक उसके बगैर ऐ यारों
सारी हसरत सराब लगती है
5-
दिल तो करता है पूरा पढ़ लूँ उसे
प्यार की वह किताब लगती है
6-
अब तो उसके बिना मेरी “प्रीतम”
ज़िन्दगी ये ख़राब लगती है
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)
24/05/18