सारा जीवन बीत गया
आने की जब खबर मिली थी, तोरण द्वार सजाये थे
सारे जग में हो उजियारा, इतने दीप जलाये थे
और भला क्या क्या बतलाऊँ कितने ख्वाब सजाये थे
ख्वाबों में हमने न जाने कितने महल बनाये थे
कितनी धुन हमने जोड़ी थी, व्यर्थ सारा संगीत गया
राह तुम्हारी तकते तकते सारा जीवन बीत गया
✍️Abhishek Kumar Dubey