सारवती छंद
शारद मातु दया करिए ,..शीषहुँ धूलि पगा धरिए !
बुद्धि सुबुद्धि मती करिए,छंद कवित्त कमी हरिए !!
लेखनि मातु विराज सदा,अक्षर भाव भरो शुभदा !
छंद सरस्वति गूढ महा,…मंद मती हम मूढ महा !!
रमेश शर्मा.
शारद मातु दया करिए ,..शीषहुँ धूलि पगा धरिए !
बुद्धि सुबुद्धि मती करिए,छंद कवित्त कमी हरिए !!
लेखनि मातु विराज सदा,अक्षर भाव भरो शुभदा !
छंद सरस्वति गूढ महा,…मंद मती हम मूढ महा !!
रमेश शर्मा.