साया
एक मैं
और दूजा
मेरा साया था
साया ने कहा
तेरे बिना नही
मेरी पहचान है
जैसा भी हूँ
जो भी हूँ
मै ही तेरा साया हूँ
मै ही तेरी छाया हूँ
जब तलक है
मुझ में जीवन
मुझ से अलग न
कर सकेगा
कोई भी साया
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल
एक मैं
और दूजा
मेरा साया था
साया ने कहा
तेरे बिना नही
मेरी पहचान है
जैसा भी हूँ
जो भी हूँ
मै ही तेरा साया हूँ
मै ही तेरी छाया हूँ
जब तलक है
मुझ में जीवन
मुझ से अलग न
कर सकेगा
कोई भी साया
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल