साया-क्षणिकाएं
साया-क्षणिकाएं
1
कर जतन
थक हारे
भरी दुपहरी
हाथ न आया
मेरा साया।
2
कद को बेहद
करने की
तमाम उम्र
जद्दोजहद
कुछ काम न आया
पल-पल
सिमटता ही गया
मेरा साया।
3
बटोर कर माया
खूब इतराया
ढली शाम
तो
संग छोड़ गया
मेरा साया।
-©नवल किशोर सिंह