Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Apr 2024 · 1 min read

सामान्यजन

सामान्यजन की एक पहचान है मेरे पास

यदि हम अनचटके में बदल लें
अपना घर बार ठौर ठिकाना फोन नम्बर आदि
तो उन्हें ढूंढ़ना पड़ता है
हमें हमारा घर हमारा ठौर
अगर वे हमसे संपर्क की चाह करें

सामान्यजन से हम नहीं जुड़े होते इतने गहरे
कि हमारे संपर्कों में
उपस्थित न हो कोई टूट इस हद तक
कि हमारे ठौर के नयेपन का लेखा
अनचाहे ही उन्हें सुलभ हो जाए

यहां बढ़ा होता है बेहद मतलब का हाथ
और इस बेहदी में रिश्तों की चौहद्दी
सिर्फ और सिर्फ हाट बिकाय की होती है
और तिजारती खुदगर्जी की बाड़ी में
उपजा होती है इकहरा छलराग

सामान्यजन के पांव हमारे घर
बहुधा उस वक्त पड़ते हैं
जब सुकून के एकाकी क्षणों में
हमारे रहने का समय होता है
जबकि ऐन वक्त वे अपने लिए
लाभ लोभ के कुछ और कतरे
बटोरने की जुगत में लगे होते हैं
और हमसे मन मुराद पा लेने का अपनी
किंचित उन्हें इमकान होता है

सामान्यजन हमसे प्रायः
हमारा सुख–सुकून मांगते हैं
और चेते–अनचेते
हमारे लिए दुख–दर्द टांगते हैं ।

64 Views
Books from Dr MusafiR BaithA
View all

You may also like these posts

नहीं चाहता मैं किसी को साथी अपना बनाना
नहीं चाहता मैं किसी को साथी अपना बनाना
gurudeenverma198
उम्मीद
उम्मीद
Dr fauzia Naseem shad
राधा अब्बो से हां कर दअ...
राधा अब्बो से हां कर दअ...
Shekhar Chandra Mitra
यह उँचे लोगो की महफ़िल हैं ।
यह उँचे लोगो की महफ़िल हैं ।
Ashwini sharma
प्रकाश
प्रकाश
Swami Ganganiya
भाग्य निर्माता
भाग्य निर्माता
Shashi Mahajan
■ दोहात्मक मंगलकामनाएं।
■ दोहात्मक मंगलकामनाएं।
*प्रणय*
** शैलपुत्री **
** शैलपुत्री **
surenderpal vaidya
राखी यानी रक्षाबंधन का त्योहार हर साल सावन महीने की पूर्णिमा
राखी यानी रक्षाबंधन का त्योहार हर साल सावन महीने की पूर्णिमा
Shashi kala vyas
बारिश में नहा कर
बारिश में नहा कर
A🇨🇭maanush
4153.💐 *पूर्णिका* 💐
4153.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
"माँ का आँचल"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
"मुश्किलों के आगे मंजिलें हैं ll
पूर्वार्थ
शिव सावन
शिव सावन
Rambali Mishra
धन की खाई कमाई से भर जाएगी। वैचारिक कमी तो शिक्षा भी नहीं भर
धन की खाई कमाई से भर जाएगी। वैचारिक कमी तो शिक्षा भी नहीं भर
Sanjay ' शून्य'
राजनीति की गरमी
राजनीति की गरमी
Acharya Rama Nand Mandal
#कलिकाल
#कलिकाल
संजीव शुक्ल 'सचिन'
छोड़ जाऊंगी
छोड़ जाऊंगी
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
11. एक उम्र
11. एक उम्र
Rajeev Dutta
तारे बुझ गये फिर भी
तारे बुझ गये फिर भी
अर्चना मुकेश मेहता
आनंदानुभूति
आनंदानुभूति
Santosh kumar Miri
I'm a basket full of secrets,
I'm a basket full of secrets,
Chaahat
દુશ્મનો
દુશ્મનો
Otteri Selvakumar
जीवन के रूप (कविता संग्रह)
जीवन के रूप (कविता संग्रह)
Pakhi Jain
बहुत प्यार करती है वो सबसे
बहुत प्यार करती है वो सबसे
Surinder blackpen
जिंदगी का वो दौर है
जिंदगी का वो दौर है
Ansh
मां लक्ष्मी कभी भी जुआरिओ के साथ नही बल्कि जोहरीओ के साथ रहत
मां लक्ष्मी कभी भी जुआरिओ के साथ नही बल्कि जोहरीओ के साथ रहत
Rj Anand Prajapati
हिन्दी में ग़ज़ल की औसत शक़्ल? +रमेशराज
हिन्दी में ग़ज़ल की औसत शक़्ल? +रमेशराज
कवि रमेशराज
उधार का ज्ञान - रविकेश झा
उधार का ज्ञान - रविकेश झा
Ravikesh Jha
Life
Life
Neelam Sharma
Loading...