Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Apr 2022 · 2 min read

“ सामाजिक समीकरण लुप्त भ रहल अछि “

डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
================================
फेसबुक मित्रता ( Facebook Friends) सामाजिक समीकरण केँ नहि बदलि सकैत अछि ! इ भ्रांति जे किनको मे व्याप्त छनि ,जे फेसबुक सं जुड़ल छथि ,वो सब मित्र बनि गेलाह ! गूगल अपन सुविधानुसारे Facebook Friends कहि सम्बोधन करैत अछि तें इ नहि बुझि लेबाक चाहि जे सामाजिक समीकरण बदलि गेल !

अपन मात -पिता ,गुरुजन ,श्रेष्ठ ,प्रतिष्ठित लोकनिक सानिध्य केँ हम अपन दोस्त क श्रेणी मे केना आनि सकैत छी ? इ त हुनकर पैघत्व छनि जे वो लोकनि हमरा अपन फेसबुक मे स्थान देलनि ! हमरालोकनि कखनो- कखनो अकर्मण्यता क परिचय देबय लगैत छी ! सामाजिक समीकरण मे यथायोग्य स्थान सब केँ भेटल छैक !

मात -पिता ,गुरुजन ,श्रेष्ठ आ प्रतिष्ठित लोकनि केँ Dear Friend कहि केँ सम्बोधन क सकैत छी ? की गुरुजन केँ “ Keep it up” अथवा “ Carry on” कहि सकैत छी ? की अनाप -सनाप आ माँगल – चाँगल पोस्ट हुनका मैसेंजर पर केनाई उचित ?

हुनका लोकनिक आशीर्वाद चाहि ,शंका क समाधान वो करताह आ हुनक मार्ग दर्शन सं हमरा लोकनि तुंग शिखर पर चढ़ि सकैत छी ! सामाजिक समीकरण मे समतुल्य आ कनिष्ठ सहो अबैत छथि ! हुनको सँगें शालीनता ,शिष्टाचार आ मधुर्यता परिवेश मे संवाद हेबाक चाहि !

इ नहि बुझू आहाँक लेखनी ,पत्र लेखन आ सम्बोधन क प्रतिविम्ब सकारात्मक अ नकारात्मक नहि पड़ैत अछि ! अपन मात -पिता ,गुरुजन ,श्रेष्ठ ,प्रतिष्ठित लोकनिक केँ सम्बोधन उचित रूपेण नहि करबनि ,प्रणाम आ अभिनंदन नहि करबनि त इ बुझल जायत कि हम अशिष्ट छी !

जेना हम अपन मात -पिता केँ “ प्रणाम “ कहैत छी तहिना गुरुजन ,श्रेष्ठ आ प्रतिष्ठित लोकनि केँ शाब्दिक प्रणाम करबाक चाहि ! प्रणाम क GIF फोटो जवाब देनाइ उचित मनल जायत ,मुदा जखन कोनो पत्राचार करैत छी त शाब्दिक “ प्रणाम “ क प्रयोग उत्तम अछि ! अन्यथा हुनकर सानिध्य डगमगा सकैत अछि ! कतबो महान बनि जाऊ मुदा “ सामाजिक समीकरण “ केँ नहि बिसरू !
=====================
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
17. 04. 2022.

Language: Maithili
135 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कुछ पाने के लिए कुछ ना कुछ खोना पड़ता है,
कुछ पाने के लिए कुछ ना कुछ खोना पड़ता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
परमात्मा
परमात्मा
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
नज़रें बयां करती हैं,लेकिन इज़हार नहीं करतीं,
नज़रें बयां करती हैं,लेकिन इज़हार नहीं करतीं,
Keshav kishor Kumar
2991.*पूर्णिका*
2991.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आलेख-गोविन्द सागर बांध ललितपुर उत्तर प्रदेश
आलेख-गोविन्द सागर बांध ललितपुर उत्तर प्रदेश
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
..
..
*प्रणय*
" हकीकत "
Dr. Kishan tandon kranti
दूर अब न रहो पास आया करो,
दूर अब न रहो पास आया करो,
Vindhya Prakash Mishra
क्षितिज के उस पार
क्षितिज के उस पार
Suryakant Dwivedi
हमारा प्यार
हमारा प्यार
Dipak Kumar "Girja"
मेरी कविता
मेरी कविता
Raju Gajbhiye
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
Neeraj Mishra " नीर "
????????
????????
शेखर सिंह
अस्तित्व पर अपने अधिकार
अस्तित्व पर अपने अधिकार
Dr fauzia Naseem shad
नश्वर संसार
नश्वर संसार
Shyam Sundar Subramanian
दिल का हाल
दिल का हाल
पूर्वार्थ
कठिनताओं की आवाजाही हीं तो, जीवन को लक्ष्य से मिलवाती है।
कठिनताओं की आवाजाही हीं तो, जीवन को लक्ष्य से मिलवाती है।
Manisha Manjari
बात मेरे मन की
बात मेरे मन की
Sûrëkhâ
तुमने की दग़ा - इत्तिहाम  हमारे नाम कर दिया
तुमने की दग़ा - इत्तिहाम  हमारे नाम कर दिया
Atul "Krishn"
दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . . .
sushil sarna
हमेशा समय रहते दूसरों की गलतियों से सीख लेना
हमेशा समय रहते दूसरों की गलतियों से सीख लेना
Sonam Puneet Dubey
हृदय वीणा हो गया।
हृदय वीणा हो गया।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
*दोस्त*
*दोस्त*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अपनी शान के लिए माँ-बाप, बच्चों से ऐसा क्यों करते हैं
अपनी शान के लिए माँ-बाप, बच्चों से ऐसा क्यों करते हैं
gurudeenverma198
सम्भाला था
सम्भाला था
भरत कुमार सोलंकी
. *विरोध*
. *विरोध*
Rashmi Sanjay
9--🌸छोड़ आये वे गलियां 🌸
9--🌸छोड़ आये वे गलियां 🌸
Mahima shukla
जिंदगी मौत तक जाने का एक कांटो भरा सफ़र है
जिंदगी मौत तक जाने का एक कांटो भरा सफ़र है
Rekha khichi
अपने किरदार को किसी से कम आकना ठीक नहीं है .....
अपने किरदार को किसी से कम आकना ठीक नहीं है .....
कवि दीपक बवेजा
*बेटी को पलकों पर रखना, धन्यवाद दामाद जी (गीत)*
*बेटी को पलकों पर रखना, धन्यवाद दामाद जी (गीत)*
Ravi Prakash
Loading...