सामाजिक न्याय
जब समाज विभाजित होता है,
और असमानता चरम पर होती है।
न्याय का सपना छलक जाता है,
जब अधिकारियों का विश्वास टूट जाता है।
समाज में बांटवारे की बातें उठाई जाती हैं,
जब न्याय की मुखौटा धारण की जाती है।
प्रशासन ने भ्रष्टाचार की राह में चला लिया है,
समाज के साथ धोखा किया जाता है।
अभाव में रहकर साहस नहीं दिखाया जाता है,
जब गरीबी और असमानता सामाजिक द्वारा बढ़ाई जाती है।
न्याय की प्रतीक्षा में खोया जाता है हर कोई,
समाज के अधिकार को चोट पहुंचाने की चलता रोई।
लेकिन एक दिन आएगा जब समाज उठेगा,
न्याय के नाम पर जो दुर्भाग्य करेगा, उसे बिखरा जाएगा।
समाजिक न्याय का चमकेगा प्रकाश,
और सभी को मिलेगा इंसानियत का आशीर्वाद।