सामाजिकता
लोग
इक दूजे के
घर नही जाते
साथ साथ
बैठकर
अब नही
बतियाते
सामाजिकता
खोखली
हो रही है
सोशल मीडिया से
कुछ निभ रही है
आपसी संबंधो की
जुगलबंदी।
अब कोई
किसी के
पास नही आता
संग बैठ बोलना
रास नही आता।
अकेलापन
तोड़ रहा
निराशा से
जोड़ रहा
चलो हम
मिलजुलकर।
दो चार बात करें।
अवसाद को हरें।
डा. पूनम पांडे