#सामयिक_मुक्तक-
#सामयिक_मुक्तक-
■ आज की चार पंक्तियां
[प्रणय प्रभात]
“है अंधेरों की दलाली रोशनी के नाम पर,
बेसबब झूठी दलीलें रोज़ सुन कर बोर हूं।
आप फ़ोकट में सफ़ाई दे रहे हो तो कहो,
आज तक किस चोर ने बोला कि हां मैं चोर हूं।।
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●सम्पादक●
न्यूज़&व्यूज़
श्योपुर (मप्र)