सामना पत्नी से
छंदमुक्त हास्य कविता
चार सौ बीस
है ये शौध
विषय का
बना कैसे
शब्द
चार सौ बीस
है खेल ये
मजेदार
पैसों का
कर पत्नी
हेराफेरी
करे
चार सौ बीसी
पति से
है पति
नादान बैचारा
न समझे
पत्नी की
चालबाजी
घूमता रहता
पत्नी की
ऊँगलियों पर
चार सौ बीस
पत्नी का
ना समझ पति
बनने में ही
पति ई
समझदारी
नहीं मिलेगा
दाना पानी
अगर दिखलाई
होशियारी
स्वलिखित लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल