सादगी
तेरी सादगी पर मरे जा रहे हैं
है दिल तेरे पास फिर भी जिए जा रहे है
प्यार तुमको किए जा रहे है
तेरे इकरार का इंतज़ार किए जा रहे हैं।।
तुझे देखते हैं तो
जुल्फों से तेरी घिरे जा रहे हैं
ऐसे उलझे हैं इनमें
तुमको ही अब याद किए जा रहे हैं।।
देख तेरी आंखों को
आंखों में तेरी डूबे ही जा रहे हैं
हर पल हर घड़ी अब
तेरे ही इंतजार में बीते जा रहे हैं।।
देखकर ये मुस्कान प्यारी
हम तो मंत्रमुग्ध हुए जा रहे हैं
ऐसे ही हंसते रहो हमेशा
तेरे लिए दुआ किए जा रहे हैं।।
न हाथ में कंगन है
न ही गले में हीरों का हार है
देखकर उनकी सुंदरता
वो खुद यौवन का हार लग रहे हैं।।
न किया श्रृंगार कोई
फिर भी वो परी लग रहे हैं
सादगी से ही उनकी
अब तो चार चांद लग रहे हैं।।
तराशा है जिसने तुम्हें
उसका भी आभार किए जा रहे हैं
हो जाओ अब मेरे तुम
यही तुमसे अनुरोध किए जा रहे हैं।।