सादगी-चोका
सादगी
विधा-चोका
उलट फेर
दौलत का हो ढेर
खुद की सोचे
विचार बड़े ओछे
विकृत मन
विविध दुर्व्यसन
सोये या जागे
नींद आंखों से भागे
फीकी मुस्कान
दिल में घमासान
छुपाए भेद
कपड़े ये सफेद
नुमाइंदगी
कुटिल पसंदगी
शांति की कमी
बिखरी सी जिंदगी
दिखाते हैं सादगी?
-©नवल किशोर सिंह