साथ हूँ
ज़ाया ना कर अपने अल्फाज़ हर किसी के लिए…
बस ख़ामोश रह कर देख तुझे समझता कौन है…
जब तुझें ढ़सनें लगें ख़ुद की ही खामोशियाँ तो……
क़भी उदास ना होना मैं हर पल लम्हां तेरे साथ हूँ….
दिल से निकाल देना की कौन है तुम्हारा हमदम….
नज़रें जिधर होंगी तुम्हारी मैं सदैव खड़ा नज़र आऊँगा……
ये महज़ अल्फ़ाज़ ना समझना मेरी फ़ितरत है….
अपना कुछ दे या ना दे मैं हर पल लम्हां अपनों के साथ हूँ……!!!
“मुकेश पाटोदिया”सुर”