साथ वक्त के चलना सीखो
साथ वक्त के चलना सीखो
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हक़ चाहिए लड़ना सीखो।
जीत के लिए मरना सीखो।।
बातों से हासिल ना कुछ भी,
क़ातिल से डरना मत सीखो।
बाधाओं को सबक बनालो,
ज़ख्मों को भी पढ़ना सीखो।।
अश्कों को ना छलकने देना,
ग़म के दौर में हंसना सीखो।
लोग मिलेंगे अपना बनकर,
भोली सूरत पढ़ना सीखो ।।
ख़ून के रिश्तों से भी बचना,
तन्हा भी तो चलना सीखो ।
ठोकर खाकर अक्ल है आती,
बेवजह ना झुकना सीखो ।।
कोई किसी का नहीं मसीहा,
खुद ही आगे बढ़ना सीखो ।
सागर बहुत खोकर जागे हो,
साथ वक्त के चलना सीखो।।
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मूल रचनाकार
जनकवि/बेखौफ शायर
डॉ.नरेश कुमार “सागर”
04/10/2021