साथ बैठ कर के अतीत निहारते हैं।
बीती हुई बातों को फिर दोहराते है,
भूले हुई है जो उसको पाते है,
खोये हुए है अपने उनको याद करते है
भविष्य हो उज्ज्वल जिससे सीख पाते है।
साथ बैठ कर के अतीत निहारते हैं।……(1)
छोटी-छोटी खुशियों को सोच मुस्कुराते है,
बीते हुए दुःख पीड़ा दर्द को पाते है,
यादों में जुड़ते है अपना हाल जताते है,
महसूस करते है जीवन अनुभव पाते है।
साथ बैठ कर के अतीत निहारते हैं।…….(2)
कुछ पल खुद को दे कर,
स्वयं के अंदर झाँकते हैं,
बचपन का वह पल फिर से पाते है,
सुंदर सी दुनियाँ को जो अपनाते है।
साथ बैठ कर के अतीत निहारते हैं।……..(3)
आनंद मिलता है थोड़ा ठहराव लाते है,
माया जाल की बुनियादो से बाहर आते है,
हल्की सुकून पाकर लौट आते है,
हृदय को अपने जीवन का साज सुनाते हैं।
साथ बैठ कर के अतीत निहारते हैं।…….(4)
रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।