साथ छूट गया
साथ छूट गया
सब प्रेम की बातें करते हैं
हृदय में किसी के प्रेम नहीं
मिलते हैं सभी एक दूजे से पर
दिल से दिल का मेल नहीं
मिल जाए कभी कोई राहों में तो
रुक कर मिलना छूट गया है
वे यादें पुरानी छूट गई
वह प्रेम का रिश्ता छूट गया है
अब तो मिलते ही आंखें
नजर बचाना सीख लिया है
लोगों ने एक दूजे से अब
आंख चुराना सीख लिया है
जीवन की इस बेला में
एक सच्चा साथी काफी है
लेकिन यहां पर यारो ने तो
आवरण ही झूठा ओढ़ लिया है
वह निस्वार्थ प्रेम बचपन का अब
क्यों दिखाई नहीं देता है
वो खेल खेल में रूठना और मनाना
क्यों दिखाई नहीं देता है
वह साथ पढ़ाई के दौर
और खाना पीना छूट गया
अब हमने अपने चेहरे पर
कई चेहरे लगाना सीख लिया है
कैसे भूल सकता हूं परीक्षा में
वो कंबाइंड स्टडी करना
कैसे भूल सकता हूं वह
फार्म परीक्षा के साथ साथ भरना
आज भी जेहन में यादें
वाबस्ता हैं उस दौर की
भले ही मझधार में आकर
साथ तुमने छोड़ दिया है
एक झूठ की बुनियाद पर
इमारत प्रेम की टिक नहीं सकती
चढ़ी हो झूठ की चादर तो
सच्चाई दिख नहीं सकती
खुशियों से दामन भरा रहे
यही दुआएं प्रभु से करता हूं
विवेक शून्य निर्णय के कारण
गठबंधन वर्षो का छूट गया है
संजय श्रीवास्तव
बालाघाट म प्र
स्वरचित और मौलिक