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4 Jun 2023 · 1 min read

26 जनवरी 2001…..गुजरात

उद्घोष हुआ जय भारत का
लगा तिरंगा लहराने
तभी अचानक धरती कांपी
लगे लोग तब घबराने
मुस्काती गलियां, हंसती राहें
खंडहर हर मकान हुआ
हरी भरी खुशहाल सी धरती
पल भर में श्मशान हुआ
क्या गुनाह हो गया था हमसे
जो ईश्वर हमसे खफा हुआ
बहना भाई से बिछड़ गई
भाई बहना से जुदा हुआ
माता की कोख उजड़ते देखा
पिता को रोते बिलखते देखा
सुहागन का सुहाग छीन गया
आंखों से आंसू बरसते देखा
दुनिया को झकझोर दिया
पीड़ित मन का चीख पुकार
जनसेवा का सैलाब उठा
गुजरात का करने जीर्णोद्धार
नया कच्छ बन जायेगा फिर से
क्या, दिलों का दर्द मिट पाएगा ?
गुम हुए जो खून के रिश्ते
क्या, दोबारा रंग दिखाएगा ?
कुछ ऐसा करना हे प्रभु
उजड़े अब न कहीं जमीं
प्रकृति का ऐसा तांडव
अब कभी नहीं, अब कभी नहीं

✍️_ राजेश बन्छोर “राज”
हथखोज (भिलाई), छत्तीसगढ़, 490024

Language: Hindi
1 Like · 231 Views
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