” साथी और समाज “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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है अतुल्य जीवन का रिश्ता,
टूटे से नहीं टूटता है ।
चाहे कितने तूफाँ आये ,
मंजिल सबको मिलता है ।।
कटुता कुंठित करती है,
क्षण में मलिन हुए जाते हैं ।
पर हृदयतंत्र मानो,
आपस में बंध जाते हैं ।।
कुछ क्षण मानो राग द्वेष का ,
चाहत हृदय में उभरता है ।
पर थोड़े ही क्षण में मानो,
प्यार प्रगाढ़ उमड़ता है ।।
दूर किनारे रहना मुश्किल,
जग में अकेले रह नहीं सकते ।
चाहे कितने दूर ही जाओ ,
साथी समाज को तज नहीं सकते ।।
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड