सातवां आसमाँ
मैं अक्सर देखता हूँ
उनकी राह
जो बैठे हैं
सातवें आसमाँ पर
इन्सान को भूलकर,
हे प्रभु!अल्लाह!गॉड!…
कब समझेंगे
इन्सान की पीड़ा
और बेबसी,
क्या पैगाम नहीं मिला,
धरती पर आपके प्रतिनिधि का
जो मुस्कुरा रहे हैं
बैठे सातवें आसमां पर.
आइये,
क्यों डर रहें हैं ?
धरा पर आने में
नहीं बेचेगा आपको यह इन्सान
सब कुछ बिक चुका है,
कुछ भी शेष नहीं,
बस!
शेष है तो,
आपका एक अवतार.