– साजिशो का दौर चल रहा सावधान रहो –
– साजिशो का दौर चल रहा सावधान रहो –
कोई अपना ना दिख रहा,
सब और अंधेरा छा रहा,
उजाला मद्धम हो रहा,
आंखो से रोशनी जा रही है,
धृतराष्ट्र होने का एहसास दिला रही ,
उमगो को खा रही,
निराशाओ को पनपा रही,
कुंठाओ को मन में ला रही,
साजिशो का दौर है चल रहा सावधान रहो,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान