गाल गुलाल गुलाब लगैं
खेलत टेरत आय गयीं सखि पीत हरे रँग डारि दए,
गाल गुलाल गुलाब लगैं रँग नैनन के रतनार भए।
बैरन रात डसै बलमा बिनु साजन तौ परदेस गए,
याद करै फ़रियाद करै मन धीर बँधावत टीस लए।
दीपक चौबे ‘अंजान’
खेलत टेरत आय गयीं सखि पीत हरे रँग डारि दए,
गाल गुलाल गुलाब लगैं रँग नैनन के रतनार भए।
बैरन रात डसै बलमा बिनु साजन तौ परदेस गए,
याद करै फ़रियाद करै मन धीर बँधावत टीस लए।
दीपक चौबे ‘अंजान’