साजन तुम आ जाना…
सावन के आने से पहले, साजन तुम आ जाना।
बदरा घिर आने से पहले, साजन तुम आ जाना।
जो ना तुम आए तो प्रियतम, आँसू आ जाएँगे।
कजरा बह जाने से पहले, साजन तुम आ जाना।
तुम बिन तनहा रहकर हम अब, और न जी पाएँगे।
साँसें थम जाने से पहले, साजन तुम आ जाना।
खोई-खोई रहूँ अनमनी, सुख-साज नहीं भाएँ।
जोगन बन जाने से पहले, साजन तुम आ जाना।
तुम रमे विदेसहिं प्रिय मैं प्रोषितपतिका कहलाई।
कुछ और कहाने से पहले, साजन तुम आ जाना।
बनें बतंगड़ बातें घर की, चौराहे पर उछलें।
बात बिगड़ जाने से पहले, साजन तुम आ जाना।
रुकती जरा न जिह्वा जग की, जाने क्या-क्या कहती।
घुट-घुट मर जाने से पहले, साजन तुम आ जाना।
पलक-पाँवड़े बिछे पंथ में, रस्ता जोहें अँखियाँ।
अंधड़ घिर आने से पहले, साजन तुम आ जाना।
मधुर मिलन की चाह सँजोए, राह निहारे ‘सीमा’।
आस मुरझ जाने से पहले, साजन तुम आ जाना।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद ( उ.प्र. )