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19 Jan 2022 · 1 min read

साजन के साथ जा रही थी (खूबसूरत कविता)

साजन के साथ जा रही थी /कविता ।
***
नेतलाल यादव

——-
लाल चुनरिया ,परिधान में
गजब ढा रही थी
जैसे प्रभात की किरण
तम को ,भगा रही थी
अपने गोरे-गोरे गाल पर
लटका के एक-दो बाल
आँख मिलाई, मुस्कुराई
,नयनों से कर ली बात
वो साजन के साथ जा रही थी
चेहरे पर खुशी की रंगत
खूब छा रही थी
लाली बिंदिया, बहुत भा रही थी
उसकी विदाई पर,कोकिल कंठ से,
महिलाएं गीत गा रही थीं
झुककर कदमों पे,बुजुर्गों से,
वो आशीर्वाद ले रही थी
दुआओं में , उठ रहे थे हाथ
वो साजन के साथ जा रही थी
वो साजन के साथ जा रही थी ।।
नेतलाल यादव
चरघरा नावाडीह, जमुआ,गिरिडीह(झारखंड)पिन कोड-815318

Language: Hindi
1 Like · 210 Views

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