सागर
विषय -सागर
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बांहे फैलाए खड़ा आसमां,
सागर ने हृदय में भरा।
आ जाओ वर्षा बनकर मिलने,
मेरे प्रिय सागर तुम धरा ।।
विरह की पीड़ा में घुट-घुट कर,
राह निहारे सरिता तेरी ।
छुपी हुई हृदय में तेरी ही तस्वीर,
हर -पल राह निहारें अंखियां मेरी।।
हे सागर! तुम शांत और गंभीर हो,
पर तेरी लहरें चंचल और अधीर हैं।
सागर तुम विशाल और हो अनंत,
तुझमें समाया हुआ भण्डार है।।
सुषमा सिंह*उर्मि,,