सागर सी गहरी रेगिस्तान सी पथरीली आंखें
सागर सी गहरी रेगिस्तान सी पथरीली आंखें
चॉकु छूरी खंजर सी नुकीली आंखें
कोई कैसे बचे इनके तिलस्म से
कत्थई काली निली आंखें
कैसे पढू मै इनकी लिखाबट को
कभी गुस्सा कभी अॉशु कभी सर्मिली आंखें
देखते ही ईश्क का शुरुर होगया
मैने पहले नही देखी थी वो चमकिली आंखें
देखोगे तो तुम्हे भी मर्ज-ए-मोहब्बत हो जाएगी
कभी देखना मत वो फूलों सी रंगिली आंखें
गर तनहा मरा मोहब्बत में तो ईल्जाम उस पन
मार डालेंगी मुझको तेरी ये जहरिली आंखें