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6 Mar 2021 · 1 min read

सागर में उठें लहरें , बदल बनकर

सागर में उठें लहरें , बदल बनकर
आँचल का सहारा दो मुझे ,आसमां बनकर

कर दो पावन , हर एक प्रयास मेरा
लिख जाए तेरे दम से , इतिहास मेरा

मेरी आरज़ू हो , पुष्प की मानिंद
जहां में पहुंचे, खुशबू बनकर

सागर का किनारा ,कर मुझको
लहरों के थपेड़ों से,हो याराना मेरा

मेरी हर एक चाह में हो, खुदा की मर्जी
मैं जियूं तो , पाक – साफ़ होकर

सद्विचारों के समंदर में, डुबो मुझको
मैं जो भी लिखूं , उसमे रजा हो तेरी

आरज़ू है मेरी, मैं नेक ख्यालों में जियूं
हर एक शब्द जो लिखूं, तेरी बंदगी में लिखूं

मुझे अपनी बंदगी का राजदार कर मुझको
टूटें सब ज़ंजीर, जिन्दगी का कारवाँ हो रोशन

सागर में उठें लहरें , बदल बनकर
आँचल का सहारा दो मुझे ,आसमां बनकर

Language: Hindi
2 Likes · 178 Views
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Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
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